मेरी भावना के स्रोत हैं सूखे
अक्षर अक्षर घायल है
जल रही है मेरी कविता
निः शब्द पढ़े शब्दों से
मैं कैसे गढ़ लूं
एक नयी कविता
प्रिय मैं कैसे गाऊँ प्रेम कविता
दुःख घनेरी दहका है मन
जल रहा है कोमल तन
मां बहनों की इज्जत खतरे में है
लुटे हुए अस्मत पर
मैं कैसे ग़ढ लूं
एक नयी कविता
प्रिय मैं कैसे गाऊँ प्रेम कविता
Ranjana verma