वीणा की तान
मां की वीणा की तान से
गुंजित होता सकल संसार
गुंजित होता सकल संसार
लय छंद ताल गीत संगीत
मां के भक्ति के प्रकार !!
जलद स्वर मंत्र तेरा
सृष्टि के कण कण में विचरित हो
सृष्टि के कण कण में विचरित हो
तेरी चेतना से हर शख्स
ज्ञान से पुष्पित और पल्वित हो !!
तेरी करुणा के कोख से
जन्म ज्ञान ने पाया
अक्षर अक्षर हासिल कर तब
ही भुवन विजित कर पाया !!
मां तिमिर का नाश कर दे
तेज प्रकाश का निजधाम दे
अंदर के गहन अंधकार को
नष्ट कर सकल प्रकाश दे !!
तेरे ज्ञान का बरकत अचंभित
दिशा दिगंत करता गुंजित
तेरे शरण में आकर सबका
उर हो जाता आलोकित !!
तेरी ज्योति का लौ निराली
और ललित कला की खोज
मिटा देता गहन तम को
खोल देता ज्ञान चक्षु !!
विश्वमानवता के कल्याण लालसा
तेरे द्वारा ही पूरित हो
जग के कण कण में जब
. ज्ञान का प्रकाश अनुरंजित हो !!
रंजना वर्मा
आशियाना नगर
पटना