हमने देखा था एक सपना
आजाद भारत हो जब अपना
चारों और फैले आजादी का उत्सव
देश का हर कोना हो महोत्सव
खुशहाली की सीढियाँ चढ़ें हम
गरीबी न फटके पास हमारी
धन्य -धान से भरपूर हो भारत
आजादी का जश्न मनायें हम
प्रगति की सीडियां चडते जायें
उन्नति हमारी हो चारों दिशायें
कोई न अशिक्षित रहे यहाँ पर
ज्ञान विज्ञान सभी का हो विकास
भरा रहें अनाजों से खलियान हमारा
विद्या धन धान्य से भरा भारत मेरा
बापू ने देखा था एक सपना
रामराज जैसा हो देश अपना
आजादी की किरणे तो निकली लेकिन
अटक गयी बड़े- बड़े अट्टालिकाओं में
हर तबके तक आजादी नहीं पहुँची
आधी आजादी हुई हमारी
जब तक इस सरजमीं पर
अंतिम आदमी तक को नहीं मिलता
रोटी कपडा और मकान
तब तक हमारी स्वतंत्रता
झूठी है बईमानी है
चलो आज हम सब देशवासी
देश के प्रति अपने फ़र्ज़ को करे पूरा
अपने कर्तव्य का करे ईमानदार कोशिश
सबको मिले जीने का बराबर सम्मान
पूरा करे हम आजाद भारत का सपना
Ranjana Verma