मैं रोज सपने बुनती हूँ
अपने सपनो के संग जीती हूँ
सपनों में अपनो के साथ होती हूँ
अपने जो मेरे हैं जन्मों से और जन्मों के बाद जो नये
बंधन में बंधी हूँ मैं
सारे रिश्तों को मैं सिद्द्हत से जीना चाहती हूँ
पूरी आत्मीयता के साथ रिश्ता निभाना चाहती हूँ
हर रिश्तों को वही अहमियत देना चाहती हूँ
जिसके हक़दार हैं वो
कोई रिश्ता मुझसे टूटे न कोई रिश्ता मुझसे रूठे न
कोई रिश्ता टूटता है तो मैं अंदर तक दुःख जाती हूँ
हर दिल में मेरे लिए प्यार हो
हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो
वो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
अच्छे लगते हैं
उसी तरह मैं भी रिश्तों से घिरा रहना चाहती हूँ
....................क्योंकि मैं ठूंठ नहीं जीना चाहती हूँ
Ranjana Verma