बूँद बूँद बारिश के गिरते जितने
तेरे यादों में मेरी आंखों से अश्रु बहते उतने
इन बूदों को अपनी आंखों में भर लूँ
तेरे सपनों में जरा खो लूँ
बूँद बूँद !!
जरा ठहर ठहर
पिया आज आए घर
देख लूँ पहले नजर भर
आज ख़ुशी से नाच रहा
मेरा मन
मिलकर वन मयूर के संग
सावन के इस मौसम में
मैं तो भीग गई पिया के संग
बूंदों से तन मेरा रंग दे
मन मेरा रंग दे
रंग दे दिन और रात
तेरे प्यार के इस मौसम में
मैं तो रंग गई पिया के रंग !!!
Ranjana verma
बहुत सुंदर एवं बारिश की बूंदों जैसी मनभावन रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कि मैं झूठ बोलिया
असीम शुभकामनायें
ReplyDeleteवर्षा के सुन्दर रंग।
ReplyDeleteप्रेम के रंग में भीगी बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्यारभरा अहसास। ।
ReplyDeleteप्यार की प्यारी फुहार
बेहद खूबसूरत भाव, बारिश की बूंदे मन की भिंगो गयी ...गणेश चतुर्थी की अग्रिम शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसुन्दर.....
ReplyDeletesundar rachna.....
ReplyDeleteसुंदर रचना व लेखन , आ. धन्यवाद !
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बदरंग सामजिक स्थिति में रंगने के लिए बस पिया का ही सहारा रह गया है. सुन्दर प्रेममय रचना.
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मन को छूती-- सुन्दर रचना ---
सादर ---
आग्रह है --
भीतर ही भीतर -------
प्रेम की मीठी फुहार जब रंग जाती है ... महकता है मन .... रंगता है नए रंग में ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और चहकती-महकती प्रस्तुति।
ReplyDeleteआप हमारे ब्लॉग में आये और हमारी छोटी सी कोशिश को सराहा इसके लिए आपको बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद और शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....!!
Deleteबहुत प्यारी रचना, बधाई.
ReplyDeletesundar kavita....
ReplyDeleteभाव प्रवण रचना जो दिल को छू गई। मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है।सुप्रभात।
ReplyDeleteसुन्दर कृति
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना प्रस्तुत करने के लिए बधाई।
ReplyDeleteअति भावपूर्ण सुन्दर रचना। बधाई। शुभकामनाएं
ReplyDeleteअति भावपूर्ण सुन्दर रचना। बधाई। शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर वर्षा के बूंदों जैसी मनभावन।
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट रचना वाकई बारिश कि बूंदों की तरह मन रूपी हिंदी साहित्य को भिगो-सी रही है......आपकी इस रचना के लिए आपको बधाई.....ऐसी ही रचनाओं को आप शब्दनगरी में प्रकाशित कर, उसके पाठकों को भी प्रफुल्लित होने का मौका प्रदान करें......
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