''ईश्वर की अनुपम कृति ''
नारी तुम ईश्वर की अनुपम कृति हो ,
मानवता की उत्कृष्ट प्रतिमूर्ति हो ।
माँ , बहन , पत्नी ,बेटी बनकर,
किया तुमने अनगिनत उपकार हमपर ।
नारी तुम कवि के कल्पना की आकाश हो ,
चन्द्रमा सा छलकता रूप तुम्हारा ,
इस धरा के अमृत धार हो तुम,
अमरता का बरदान हो तुम ,
नारी हर शक्ति का अवतार हो तुम ।
दुर्गा , काली बन किया दुष्टों का संहार तुमने ,
हर आत्मा की आवाज हो तुम,जिन्दगी की सार हो तुम ।
तुम्हारा प्यार अलौकिक है ,
तुम्हारा प्रेम नैसर्गिक है।
निस्वार्थ सेवा- श्रद्धा के स्रोत हो तुम ,
प्रेयसी बन किया सपनों को साकार तुमने ।
तुम्हारा बलिदान अनगिनत है ,
तुम्हारा त्याग असीमित है।
आजाद ,भगत ,बोस की माँ बन,
किया असीमित त्याग तुमने ।
नारी तुम्हारी सघन छाया में ,
पनपता सुनहरा संसार हमारा ।
इस क्षण भंगुर संसार में ,
अमरता का बरदान हो तुम ।
नारी इस विशाल संसार में,
शीतलता की अद्भुत छाँव हो तुम ।
क्षमाशील ,लज्जाशील,आचरण तुम्हारा,
अर्धांगिनी बन किया सम्मान हमारा ।
ये जगत रहेगा हर हाल ऋणी तुम्हारा ।।
रंजना वर्मा ,एम् .ए .(हिंदी )
तारीख -03.10.2012,स्थान-लखनऊ
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 16/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
इस क्षण भंगुर संसार में ,
ReplyDeleteअमरता का बरदान हो तुम ।
....बहुत खूब! बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...