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Monday, 7 November 2016


                                                             




   मैं कर जोडे
   विनती करूँ
   लिए अर्घ्य की धार
   निर्जला जल में खड़ी
   करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार
   हे सूर्यदेव ! जग के प्राणाधार !!

   दीर्घायु हो संतान
   और झिलमिलाता रहे
   मांग का सिंदूर
   मांग रही आशीर्वाद
   विश्व -शांति का और
  भरा रहे अन्न -धन से घर- द्वार
  करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार
 हे सूर्यदेव ! जग के प्राणाधार !!

                                                                   Ranjana Verma





6 comments:

  1. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १५०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है - १५०० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !!

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  2. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !!

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