मैं रोज सपने बुनती हूँ
अपने सपनो के संग जीती हूँ
सपनों में अपनो के साथ होती हूँ
अपने जो मेरे हैं जन्मों से और जन्मों के बाद जो नये
बंधन में बंधी हूँ मैं
सारे रिश्तों को मैं सिद्द्हत से जीना चाहती हूँ
पूरी आत्मीयता के साथ रिश्ता निभाना चाहती हूँ
हर रिश्तों को वही अहमियत देना चाहती हूँ
जिसके हक़दार हैं वो
कोई रिश्ता मुझसे टूटे न कोई रिश्ता मुझसे रूठे न
कोई रिश्ता टूटता है तो मैं अंदर तक दुःख जाती हूँ
हर दिल में मेरे लिए प्यार हो
हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो
वो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
अच्छे लगते हैं
उसी तरह मैं भी रिश्तों से घिरा रहना चाहती हूँ
....................क्योंकि मैं ठूंठ नहीं जीना चाहती हूँ
Ranjana Verma
हर दिल में मेरे लिए प्यार हो
ReplyDeleteहर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो
सुन्दर पंक्तियाँ. बहुत बढ़िया लिखा है.
अपनों,सपनों और रिश्तों की भावमय सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुभप्रभात
ReplyDeleteआपकी सारी मुरादें पूरी हो
आमीन !!
हार्दिक शुभकामनायें ..........
हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो
ReplyDeleteवो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
अच्छे लगते हैं
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,
RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
आशा है आपकी सुन्दर कामना पूरी हो। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteरिश्तो की अहमियत दर्शाती रचना , बहुत बहुत बधाई,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-06-2013) के चर्चा मंच 1292 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteमेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!
Deleteरिश्तों की अहमियत वाही समझता भी है जो रिश्तों की इज्ज़त करता है. बहुत ही नेक विचार. काश आपकी आकांक्षा अवश्य पूरी हो.
ReplyDeleteइस सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई और शुभकामनाएँ.
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 01/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक, रिश्तों की अहमियत भी है
बहुत सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteवो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
ReplyDeleteअच्छे लगते हैं
उसी तरह मैं भी रिश्तों से घिरा रहना चाहती हूँ
....................क्योंकि मैं ठूठ नहीं जीना चाहती हूँ
मार्मिक भाव पूर्ण रचना बधाई
आपने सच कहा मैं ठूठ बन नहीं जीना चाहती
मल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......बेहतरीन अंदाज़.....
ReplyDeleteरिश्तों की अहमियत की सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति!
ReplyDeletelatest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
बहुत खूबसूरत रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है |पर मैं सोचती हूँ ठूंठ से भी एक रिश्ता है |वह है दर्द का रिश्ता |
ReplyDeleteआशा
अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteये जीवन रिश्तों से ही तो चलता है ...
ReplyDeleteरिश्तों से खुशी, गम सभी कुछ है ...
ReplyDeleteहर दिल में मेरे लिए प्यार हो
हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो------
सार्थक और सुंदर अनुभूति
बधाई
आपसब अपना कीमती समय निकालकर मेरे पोस्ट पर आये इसके लिए मैं बहुत बहुत आभारी हूँ आपसब को बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद.... !!
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। सार्थक मनोकामनाएं।
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