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Saturday 29 June 2013

क्योंकि मैं ठूंठ नहीं जीना चाहती हूँ ....................

                                                         
                                                                         
             
                                                 
                       मैं रोज सपने बुनती हूँ
                       अपने सपनो के संग जीती हूँ
                       सपनों में अपनो के साथ होती हूँ
                       अपने जो मेरे हैं जन्मों से और जन्मों के बाद जो नये
                       बंधन में बंधी हूँ मैं
                       सारे रिश्तों को मैं सिद्द्हत से जीना चाहती हूँ
                       पूरी आत्मीयता के साथ रिश्ता निभाना चाहती हूँ
                       हर रिश्तों को वही अहमियत देना चाहती हूँ
                       जिसके हक़दार हैं वो
                       कोई रिश्ता मुझसे टूटे न कोई रिश्ता मुझसे रूठे न
                       कोई रिश्ता टूटता है तो मैं अंदर तक दुःख जाती हूँ
                       हर दिल में मेरे लिए प्यार हो 
                       हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो  
                       वो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
                       अच्छे लगते हैं
                       उसी तरह मैं भी रिश्तों से घिरा रहना चाहती हूँ
   ....................क्योंकि मैं ठूंठ नहीं जीना चाहती हूँ         
                                                                       



                                                                                                     Ranjana Verma 



24 comments:

  1. हर दिल में मेरे लिए प्यार हो
    हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो

    सुन्दर पंक्तियाँ. बहुत बढ़िया लिखा है.

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  2. अपनों,सपनों और रिश्तों की भावमय सुंदर प्रस्तुति

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  3. शुभप्रभात
    आपकी सारी मुरादें पूरी हो
    आमीन !!
    हार्दिक शुभकामनायें ..........

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  4. हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो
    वो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
    अच्छे लगते हैं
    बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,
    RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,

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  5. आशा है आपकी सुन्‍दर कामना पूरी हो। बहुत बढ़िया।

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  6. रिश्तो की अहमियत दर्शाती रचना , बहुत बहुत बधाई,

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  7. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-06-2013) के चर्चा मंच 1292 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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    1. मेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!

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  8. रिश्तों की अहमियत वाही समझता भी है जो रिश्तों की इज्ज़त करता है. बहुत ही नेक विचार. काश आपकी आकांक्षा अवश्य पूरी हो.

    इस सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई और शुभकामनाएँ.

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  9. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 01/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  10. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।

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  11. सुन्दर और सार्थक, रिश्तों की अहमियत भी है

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  12. बहुत सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति...

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  13. वो पेड़ जो फूल और हरे हरे पत्ते से घिरे होते हैं
    अच्छे लगते हैं
    उसी तरह मैं भी रिश्तों से घिरा रहना चाहती हूँ
    ....................क्योंकि मैं ठूठ नहीं जीना चाहती हूँ
    मार्मिक भाव पूर्ण रचना बधाई
    आपने सच कहा मैं ठूठ बन नहीं जीना चाहती

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  14. मल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......बेहतरीन अंदाज़.....

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  15. रिश्तों की अहमियत की सुन्दर अहसास और उनकी अभिव्यक्ति!
    latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )

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  16. बहुत खूबसूरत रचना.

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  17. बहुत सुन्दर रचना है |पर मैं सोचती हूँ ठूंठ से भी एक रिश्ता है |वह है दर्द का रिश्ता |
    आशा

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  18. अच्छी रचना, बहुत सुंदर

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  19. ये जीवन रिश्तों से ही तो चलता है ...
    रिश्तों से खुशी, गम सभी कुछ है ...

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  20. हर दिल में मेरे लिए प्यार हो
    हर रिश्तों का मेरी नजरों में सम्मान हो------

    सार्थक और सुंदर अनुभूति
    बधाई

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  21. आपसब अपना कीमती समय निकालकर मेरे पोस्ट पर आये इसके लिए मैं बहुत बहुत आभारी हूँ आपसब को बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद.... !!

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  22. This comment has been removed by the author.

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  23. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। सार्थक मनोकामनाएं।

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