सूर्ज की प्रचंड गर्मी धरा पर
बिखेर रही है तेज किरणें .............
किरणें आग बरसा रही
धुआं धुआं है सारा जहाँ ................
धरा की इस उष्ण गर्मी से
झुलस रहा है सारा आलम .............
प्यासी धरती पानी को तरसे
आसमां से कही घटा न बरसे ..........
चारों ओर बैचनी का आलम
पानी को हम हरदम तरसे ..............
कब आयेगी बूंदें बारिश की
तृप्त करेगी धरती को जल से ..........
जल रही है हरियाली धरती की
बढ़ रही बेताबी जनजीवन की ...........
चांदनी की अदम्य शीतलता भी
नहीं दे रही किसी को कहीं सुकुन ........
कह रही धरती हम सब से
अब और न काटो जंगलों को ............
हरियाली इतनी कम है यहाँ
घटा न रुकती जम के यहाँ ...............
आज हम सब करे एक वादा यहाँ
रक्षा करेंगे हर पेड़ को अब यहाँ ..........
Ranjana Verma
पेडों की रक्षा का अच्छा संदेश..शुभकामनायें
ReplyDeleteSundar sandesh deti rachna.....
ReplyDeleteAao kare wada raksha Karen har ped ki ....
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .
ReplyDeletemansoon come soon
ReplyDeleteTHOUGHTFUL VERY NICE LINES BASED ON NATURE LOVELY
ReplyDeleteसुन्दर शिक्षाप्रद कृति.
ReplyDeleteअभी सुशिला जी के तपती प्रकृति हायकु के बाद आपकी गर्मी पर केंद्रित कविता पढ रहा हूं और एहसास कर रहा हूं कि प्रकृति साहित्य पर किताना प्रभाव डालती है। जैसे आपको बारिश का इंतजार है वैसे हम भी इंतजार कर रहे हैं।
ReplyDeleteआज हम सब करे एक वादा यहाँ
ReplyDeleteरक्षा करेंगे हर पेड़ को अब यहाँ ..........
जब हम अपना कर्तव्य निभाएंगे तभी हमारी रक्षा हो सकेगी.
सार्थक सन्देश सुंदर प्रस्तुति.
बढ़िया। प्रकृति आपकी बात जल्द सुनेगी।
ReplyDeleteशानदार,उम्दा सार्थक प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
गर्मी का ये आलम बस ख़त्म ही समझो....
ReplyDeleteहाँ पर्यावरण को सहेजना तो ज़रूरी है..
अनु
मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति ..
ReplyDelete..
आज हम सब करे एक वादा यहाँ
ReplyDeleteरक्षा करेंगे हर पेड़ को अब यहाँ
सामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
उम्दा रचना के लिए बधाई
हार्दिक शुभकामनायें
आज हम सब करे एक वादा यहाँ
ReplyDeleteरक्षा करेंगे हर पेड़ को अब यहाँ .......... bahut jaruri hai acchha sandesh .......
thanks to all .....
ReplyDeleteसार्थक सन्देश सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअब बरसी है तो कितना जम के ... कहर बरपा रही है ...
ReplyDeleteअच्छी भावपूर्ण रचना है ...
सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
ReplyDelete
ReplyDeleteसूर्ज की प्रचंड गर्मी धरा पर
बिखेर रही है तेज किरणें .............
चांदनी की अदम्य शीतलता भी
नहीं दे रही किसी को कहीं सुकुन .......
बढ़िया रचना .(सूरज ,सुकून )
बेहतरीन, अलंकृत रचना।
ReplyDeleteपेड़ों की रक्षा करने का सार्थक आह्वान।