अपनों की याद में वक़्त बे वक्त बरसती आखें .............
अपनों को देखने वक़्त बे वक्त तरसती आखें .............
अपनों को देखने वक़्त बे वक्त तरसती आखें .............
जो चले गये इस जहाँ से उनकी याद
दर्द बनकर हरदम भर आती आखें .............
छोड़ गये जो हमको वो लौट फिर नहीं आयेंगे
उनकी याद में नींद में भी बहती आखें .............
वे हमें बहुत प्यारे थे
हम उनके जान से दुलारे थे
क्या वे खुदा के भी प्यारे थे
क्यूँ खुदा उन्हें पास बुला लेते
जिन्हें देखने बार बार भर आती आंखे .............
कई बार खुदा से मन्नत मांगी
उनका चेहरा दिखा दो चाहे एक दफा ही काफी
जिनकी याद में हरदम छलकती आंखे .............
आप हमारे आसपास अभी भी सदा रहते हो
आपके ही आशीर्वाद दुआ से होता है हमारा सबेरा
आपके ही स्नेह से उज्ज्वल भविष्य हमारा
आपके ही स्नेह से उज्ज्वल भविष्य हमारा
आपकी याद में हरदम रोती आखें .............
आप को देखने को हरदम तरसती आखें .............
आप को देखने को हरदम तरसती आखें .............
Ranjana Verma
ReplyDelete बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार संजय जी -कुमुद और सरस को अब तो मिलाइए. आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
अपने कई बार चले जाते हैं न वापस आने के लिए ... और यादों में तरसते हैं उनको चाहने वाले ... आँखें छलक आती हैं उन यादों में ...
ReplyDeleteजिन्हें देखने बार बार भर आती आंखे
ReplyDeleteकई बार खुदा से मन्नत मांगी
...........बहुत सुन्दर एहसास
सुन्दर भावों की सार्थक प्रस्तुति .आभार
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल गुरुवार (27-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !!
Deleteसुन्दर एहसास की रचना...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteअपनों के अपनेपन को याद कराती
ReplyDeleteभावमय सुंदर प्रस्तुति.बधाई
बहुत सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
ReplyDeleteथैंक यू यशोदा.....
ReplyDeleteसंवेदनापूर्ण सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण , जाने वालो की आज फिर याद दिला गयी ये कविता ,,, आभार
ReplyDeleteयादों में डूबी सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआपके ही आशीर्वाद दुआ से होता है हमारा सबेरा
ReplyDeleteआपके ही स्नेह से उज्ज्वल भविष्य हमारा
आपकी याद में हरदम रोती आखें .............
आप को देखने को हरदम तरसती आखें
बहुत भावपूर्ण
हम उनके जान से दुलारे थे
ReplyDeleteक्या वे खुदा के भी प्यारे थे
निरुत्तर करती रचना
दिल को छु गई
बहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteआप सबको बहुत बहुत धन्यवाद !!
ReplyDeleteगहन दर्द ....बहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeletesundar dard bhare bhaav liye ... badhai
ReplyDeleteमेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteमैं ऐसा गीत बनाना चाहता हूं...
यही शाश्वत सत्य है। अपने छोड़ कर जाते ही हैं एक दिन, और एक दिन हम भी छोड़ जायेंगे अपने 'अपनों' को छोड़कर ... जो लम्हे हैं, उन्ही में जी लेना है बस!
ReplyDeleteसार्थक, सुन्दर अभिव्यक्ति.