ये दुनियाँ ऐसी क्यों है
जात -पात का वैर यहाँ पर
छोटे बड़े का भेद यहाँ पर
मानवता को क्यों कर रहे दागदार यहाँ पर ?
ये दुनियाँ ऐसी क्यों है
मां बहन बेटियो की अस्मत
क्यों करते हैं तार -तार यहाँ पर
दहेज़ भूर्ण हत्या बलात्कार
इंसानियत को क्यों कर रहे शर्मसार यहाँ पर ?
ये दुनियाँ ऐसी क्यों है
भ्रष्टाचार से ग्रस्त है जनता
मांग रही है मुक्तिबोध यहाँ पर
हर ओर हो रही लुट यहाँ पर
मर्यादा क्यों हो रही रोज खंडित यहाँ पर ?
ये दुनियाँ ऐसी क्यों है
बम धमाके आत्मघाती से
हरक्षण दहलता है देश हमारा
भूख बेरोजगारी गरीबी से
हो रही जनता त्रस्त देश में
ईमानदारी को क्यों कर रहे हर क्षण पानी यहाँ पर ?
Ranjana Verma
भावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteमन को छूती कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव..
ReplyDeleteये दुनिया ऐसी क्यों हैं, भगवान जाने।
ReplyDeleteबहुत भी भावमय रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
ये दुनिया ऐसी क्यों हैं, भगवान जाने।
ReplyDeleteराम जाने...
राम के कारनामे...!
सुन्दर रचना रंजना जी !!
बहुत विकराल सी स्थिति होती जा रही है. पीड़ा क्यों ना ऐसे हालात देखकर.
ReplyDeleteइन सवालो का जबाब देगा कौन
ReplyDeleteसभी केवल सोच रहे
ये दुनियाँ ऐसी क्यों है ....
अपने-अपने हिस्से का भार वहन सभी करे बदलाव अवश्य आएगा………………. सुन्दर भाव
ReplyDeleteये सब न होता तो शायद लो स्वर्ग की बातें न करते ... शायद इसलिए
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (09.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteनीरज जी आपका बहुत बहुत आभार !!
Deleteबहुत सुन्दर .सवाल लाजिमी है.
ReplyDeleteये दुनियाँ ऐसी क्यों है
ReplyDeleteमां बहन बेटियो की अस्मत
क्यों करते हैं तार -तार यहाँ पर
दहेज़ भूर्ण हत्या बलात्कार
इंसानियत को क्यों कर रहे शर्मसार यहाँ पर ..
दुनिया तो दुनिया में रहने वालों से होती है ... अज शायद हम सब, सारा समाज ऐसा होता जा रहा अहि स्वार्थी ... तभी तो ऐसा है ...
सटीक प्रश्नों को उठाती है पोस्ट मनुष्यता को बचाए रखने के लिए इन प्रश्नों के उत्तर खोजने ही होंगे |
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ReplyDeleteये दुनियाँ ऐसी क्यों है
दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालात यही प्रश्न पूछ रहे हैं
ये दुनिया ऐसी क्यूं है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteसवाल का जवाब भी हमें ही ढूंडना है।
aaj ke dor mee har manush yahi sawal aapne aap se puchta najar aata hay.
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