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Thursday, 14 November 2013

बिन बारिश के मैं भीग रही थी……

                                                                                                             


      बिन बारिश के मैं भीग रही थी........
      बिन शोले के मैं जल रही थी
      अनजानी दिशाओं में बढ़ रही थी
      मेरी सांसे कुछ बहक रही थी 
      पास कोई खुशबू सी महक रही थी
      मेरा कंगना कुछ खनक रहा था
      मेरी बिंदिया चमक रही थी
      मेरे लब कुछ बोल रहे थे
      मेरी आँखे कुछ खोज रही थी
      मेरा आंचल कोई खींच रहा था
      पीछे पलटी तो तुम खड़े थे ......…!!  

 


                                                Ranjana verma 

18 comments:

  1. वाह बहुत खूब ...खूबसूरत अहसास

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  2. http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ शुक्रवारीय अंक ४४ दिनांक १५/११/२०१३ में आपकी रचना को शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद

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    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया !!

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  3. चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया .

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  4. भावो का सुन्दर समायोजन......

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. बहुत ही सुन्दर , छोटी परन्तु सुन्दर शब्दों से अलंकृत कृति , आदरणीय श्री धन्यवाद
    नया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६

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  7. लघु परन्तु सुन्दर भावों का सृजन , बधाई , शेयर किया कीजिये

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  8. सुंदर प्रस्तुति...

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  9. प्रेम का गहरा एहसास लिए ... भावपूर्ण प्रेम भरी अभिव्यक्ति ...

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  10. वाह,बहुत सुन्दर कृति.

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  11. वाह एक उसके खडे होने के एहसास को आपने कितनी खूबसूरती से शब्दों में पिरो दिया

    मेरे दिमाग में आज डाउनलोड होते विचार

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  12. सुंदर भावों से सजी रचना । बधाई रंजना जी ।

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