एक टुकड़ा कागज का
और दिल की इतनी सारी बात
विरह में बीता यह साल
कैसे पहंचे हमारी बात
उन तक...........!!
सावन की इस जुदाई में
आँखों से निकलकर
विरह के दो बूंद आंसू
चुपचाप टपक पड़े
एक टुकड़ा कागज पर................!!
बिना जुबां बोले
बिना लिखे
दो बूंद आंसू ही बहुत
विरह के एक एक लम्हें का हिसाब बताने के लिए ....उन्हें .....!!
क्योकि भावनाएं भाव संवेदनाऐ दर्द यर्थाथ सब कुछ तो संजोता है
यह एक टुकड़ा कागज..................!!
(हर विरहन के दिल की बात बयां करने के लिए दो बूंद आंसू और एक टुकड़ा कागज ही चाहिए बस )
Ranjana Verma
आपकी यह रचना कल रविवार (14 -07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक
ReplyDeleteकी गई है कृपया पधारें.
अरुणजी बहुत बहुत शुक्रिया !!
Deleteविरह के दो बूंद आंसू चुपचाप टपक पड़े
ReplyDelete......... एक भावपूर्ण रचना
दो बूंद आंसू ही बहुत
ReplyDeleteविरह के एक एक लम्हें का हिसाब बताने के लिए....
सुंदर प्रस्तुति रंजनाजी।।
बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,रंजना जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST : अपनी पहचान
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeletelatest post केदारनाथ में प्रलय (२)
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteयादों को समेटे एक टुकड़ा काग़ज़. बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!..शुभकामनाएं रंजना
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवाह ... दिल का पूरा हाल, जुदाई की बातें कहने ले किये दो बूँद और टुकड़ा कागज का ...
ReplyDeleteसच है काफी है ...
बढ़िया भावपूर्ण।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति , शुभकामनाएं *****
ReplyDeleteवाह !!!!! गागर में सागर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर..........अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर......इंशाल्लाह आगे भी आना होगा।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.....
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और सशक्त पोस्ट.....
ReplyDeleteजीवन की गहन अनभूति की रचना नये प्रतीकों के साथ
ReplyDeleteवाह
बहुत सुंदर
बधाई
कल 18/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
हार्दिक आभार और धन्यवाद !!
Deleteयह एक टुकड़ा कागज़ सहेज कर रखना ...
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
क्योकि भावनाएं भाव संवेदनाऐ दर्द यर्थाथ सब कुछ तो संजोता है
ReplyDeleteयह एक टुकड़ा कागज..................!!
सच एक टुकड़ा कागज जिंदगी बन जाता है .......... यूँ ही
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ,सुन्दर भाव अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह रंजना जी,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,वैसे भी आप की रचनाएं काफी अच्छी होती हैं,मेरी बहुत सारी हर्दिक शुभकामनायें आपको.
प्रेम से भरी हुई नज़्म... दिल को छूती हुई..
ReplyDeleteदिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
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