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Saturday, 13 July 2013

एक टुकड़ा कागज का .................!!

                                                                                                                                                                       
            एक टुकड़ा कागज का
            और दिल की इतनी सारी बात
            विरह में बीता यह साल
            कैसे पहंचे हमारी बात
            उन तक...........!!
            सावन की इस जुदाई में
            आँखों से निकलकर
            विरह के दो बूंद आंसू
            चुपचाप टपक पड़े
            एक टुकड़ा कागज पर................!!
            बिना जुबां बोले
            बिना लिखे
            दो बूंद आंसू ही बहुत
            विरह के एक एक लम्हें का हिसाब बताने के लिए ....उन्हें .....!!
            क्योकि भावनाएं भाव संवेदनाऐ  दर्द यर्थाथ सब कुछ तो संजोता है
            यह एक टुकड़ा कागज..................!!
           (हर विरहन के दिल की बात बयां करने के लिए दो बूंद आंसू और एक टुकड़ा कागज ही चाहिए बस )


                                                                                                           Ranjana Verma




29 comments:

  1. आपकी यह रचना कल रविवार (14 -07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक
    की गई है कृपया पधारें.

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    Replies
    1. अरुणजी बहुत बहुत शुक्रिया !!

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  2. विरह के दो बूंद आंसू चुपचाप टपक पड़े
    ......... एक भावपूर्ण रचना

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  3. दो बूंद आंसू ही बहुत
    विरह के एक एक लम्हें का हिसाब बताने के लिए....

    सुंदर प्रस्तुति रंजनाजी।।

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  4. बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,रंजना जी,,,

    RECENT POST : अपनी पहचान

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति

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  8. यादों को समेटे एक टुकड़ा काग़ज़. बहुत सुन्दर.

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!..शुभकामनाएं रंजना

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  10. वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  11. वाह ... दिल का पूरा हाल, जुदाई की बातें कहने ले किये दो बूँद और टुकड़ा कागज का ...
    सच है काफी है ...

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  12. भावपूर्ण रचना...

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  13. सुंदर अभिव्यक्ति , शुभकामनाएं *****

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  14. बहुत ही सुन्दर..........अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर......इंशाल्लाह आगे भी आना होगा।

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  15. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.....

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  16. बहुत ही लाजवाब और सशक्त पोस्ट.....

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  17. जीवन की गहन अनभूति की रचना नये प्रतीकों के साथ
    वाह
    बहुत सुंदर
    बधाई

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  18. कल 18/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार और धन्यवाद !!

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  19. यह एक टुकड़ा कागज़ सहेज कर रखना ...

    मंगलकामनाएं !

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  20. क्योकि भावनाएं भाव संवेदनाऐ दर्द यर्थाथ सब कुछ तो संजोता है
    यह एक टुकड़ा कागज..................!!
    सच एक टुकड़ा कागज जिंदगी बन जाता है .......... यूँ ही

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  21. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  22. सुन्दर रचना ,सुन्दर भाव अभिव्यक्ति

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  23. वाह रंजना जी,
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,वैसे भी आप की रचनाएं काफी अच्छी होती हैं,मेरी बहुत सारी हर्दिक शुभकामनायें आपको.

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  24. प्रेम से भरी हुई नज़्म... दिल को छूती हुई..

    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

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