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Thursday, 18 July 2013

दहेज़ की बलिबेदी........ या ........ जिन्दगी ............???

                                                                                                                                                         
                                                                 
     
          आयी थी वह दुल्हन बन के
          अपने सारे सपने को ले के 
          मन में उमंग और आँखों में आस लिए
          मन में एक विश्वास लिए  
          सतरंगी सपने लेकर  
          आई वह साजन के घर
          उसके सारे सपने 
          इस तरह टूट के बिखर जायेगें 
          इसका उसे भान न था
         जिस अरमान को लेकर आयी
         उसका कोई सम्मान न था 
         दहेज़ की बलि बेदी पर
         सारे अरमान जल गए
         रंग बिरंगी सपने उसके
         राख राख हो  गए----- 
         राख हुए सपने को लेकर
         दहेज़ की चिता पर---
         उसे जल जाना होगा
         उसे मौत को गले लगाना होगा
         जीने का अब नहीं बहाना होगा  
         .............लेकिन 
        उसने सुनी अपनी----
        अंतरात्मा की आवाज
        नहीं ...नहीं ...मुझे जीना  होगा
        इस जहाँ में मुझे रहना होगा
        अपने सारे सपने को रंग देने होंगे
        फिर से जिंदगी जीने होंगे
        फिर से अपने पंख फ़ैलाने होंगे
        फिर से चिडियां चहकेगी
        फिर से कोयल  कूकेगी
        फिर से बहार छाएंगे
        सावन की बूंदें भी बरसेगी
        मेरे जले इस ह्रदय पटल पर
       टपटप की आवाज से----
       मधुर संगीत मुखरित होगी
       मैं अपने सपने को पूरा करुँगी
       अपने को दहेज़ की बलि बेदी पर
       नहीं अरमान की चिता  जलने दूंगी
       जीना एक चुनौती है
       .............मौत नहीं मैं  .....
       जीवन गले लगाऊंगी
      अपनी राह खुद बनाऊंगी मैं
      फिर से चलके दुनिया को दिखाऊँगी मैं 
      राह में और भी हमसफ़र मिलेंगे
      मिल के नए सपने फिर सजाऊंगी मैं

     


     
                                                                                         Ranjana Verma 


35 comments:

  1. jeena hi hoga... aur aage badh kar jeetna bhi hoga...:)
    behtareen!!

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  2. भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  3. आशा से पूर्ण और भावनात्‍मक ऊर्जा लिए हुए सुन्‍दर पंक्तियां

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  4. मन को छू लेने वाली भावपूर्ण रचना ....बधाई

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  5. हृदयस्पर्शी.भावपूर्ण रचना ..

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  6. बहुत उम्दा,सुंदर भावपूर्ण सृजन,,,

    RECENT POST : अभी भी आशा है,

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  7. भावपूर्ण प्रस्तुति. बहुत सुन्दर रचना

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  8. बहुत सुन्दर रचना

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  9. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  10. यही आशा और उत्साह खुशियों का आधार है. बहुत सुन्दर.

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  11. बहुत भावपूर्ण रचना ।

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  12. आपकी यह रचना आज शुक्रवार (19-07-2013) को निर्झर टाइम्स पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया !!

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  13. जीवन गले लगाऊंगी
    अपनी राह खुद बनाऊंगी मैं
    फिर से चलके दुनिया को दिखाऊँगी मैं
    राह में और भी हमसफ़र मिलेंगे
    मिल के नए सपने फिर सजाऊंगी मैं

    बहुत कोमल भावपूर्ण रचना.....

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  14. बेहद उम्दा.........हर काली रात के बाद एक उजला सवेरा है।

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  15. संदेशप्रद रचना. अपने लिए खुद ही राह बनानी पड़ती है, जीत कर जीना होता है... बधाई.

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  16. यही हौसला होना होना चाहिए .... बढ़िया प्रस्तुति

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  17. बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर

    मेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
    MEDIA : अब तो हद हो गई !
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form

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  18. फिर से चलके दुनिया को दिखाऊँगी मैं
    राह में और भी हमसफ़र मिलेंगे
    मिल के नए सपने फिर सजाऊंगी मैं

    ..........भावपूर्ण रचना !!

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  19. बहुत सुंदर
    बहुत ही लाजवाब पोस्ट
    हार्दिक शुभकामनायें ..........

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  20. कल 21/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  21. वाह बहुत ही सार्थक प्रस्तुति । शुभकामनायें ।

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  22. उम्दा प्रस्तुति

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  23. मन को छूते है रचना के भाव ... दहेज एक महामारी है समाज की और इससे पार पाने के लिए ... समाज में ही आवाज़ उठानी होगी ...

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  24. बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।


    राज चौहान
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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  25. फिर से कोयल कूकेगी
    फिर से बहार छाएंगे
    सावन की बूंदें भी बरसेगी
    मेरे जले इस ह्रदय पटल पर
    टपटप की आवाज से---------

    जीवन की सकारात्मक सोच को व्यक्त करती
    गजब की रचना

    बहुत बहुत बधाई

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  26. बहुत भावपूर्ण रचना
    फिर से कोयल कूकेगी
    फिर से बहार छाएंगे

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  27. भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...


    यहाँ भी पधारे ,

    हसरते नादानी में

    http://sagarlamhe.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

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  28. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ......

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  29. आगे बढ़ना ही होगा...सकारात्मक सोच लिए बहुत प्रेरक रचना...

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  30. इस बलिवेदी पे न जाने कितने कत्ल हर साल होते हैं...कविता में नारी की जिस जीवटता की प्रेरणा दी है वह बेहद आवश्यक है..सुंदर अभिव्यक्ति।।।

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  31. अपनी राह खुद बनाऊंगी मैं
    फिर से चलके दुनिया को दिखाऊँगी मैं
    राह में और भी हमसफ़र मिलेंगे
    मिल के नए सपने फिर सजाऊंगी मैं......BAHUT SAHI ABHIWAYAKTI ..YE JAJWAT JARURI HAI ...JINE KE LIYE ..

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  32. प्रभावशाली ..बधाई !

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  33. उसने सुनी अपनी----
    अंतरात्मा की आवाज
    नहीं ...नहीं ...मुझे जीना होगा
    इस जहाँ में मुझे रहना होगा
    अपने सारे सपने को रंग देने होंगे
    सुंदर भाव

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