मत छुओ इस कली को
कल ये खिल के गुलाब होगी
महकेगी बगिया में
तुम्हें भी महकाएगी
इनकी खूबसूरती
ईश्वर की इनायत है
ये मासूम है नादान भी
इसकी हर अदा जुदा भी
लाल हरे पीले रंग की
नाजुक इनकी पंखुडियां
हिफाजत तुम इनकी
करना थोड़ी सम्भाल के
कल फक्र होगा इस कली पे
जब दुनिया इसकी खूबसूरती की मिसाल देगी
रंजना वर्मा
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
मेरे ब्लॉग में आने के लिए शुक्रिया !
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