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Monday, 8 April 2013

सात फेरे हम हो गए तेरे !!

              पहली बार जब मैं घर से निकली थी
            इनके साथ 
            हलकी सी यादों की धुंध है
            बात सालों पहले की है
            बिलकुल अल्हड़ लड़की थी मैं
            बिना कुछ बात किये 
            चल दिये साथ में 
            कहीं कोई डर नहीं 
            किसी तरह का भय नहीं     
            बस सात फेरे हम हो गए तेरे      
            के वादे को 
            चरितार्थ करने
            कहीं कोई अविश्वास नहीं था
            पता नहीं क्यों 
            लम्बे सफ़र के बाद 
            मंजिल पहुँचे हम
            पहाड़ों का शहर
            प्रकृति में बसा
            कोटेज सा सरकारी क्वार्टर
            जहाँ पहुंचकर 
            बिलकुल चैन का
            सांस लिया
            जैसे मैंने मंजिल
            पा लिया
            सफ़र के दोरान भी ज्यादा 
            बातें न हुई
            क्या इतना मजबूत बंधन 
            ये सात फेरे
           जो अनजाने के साथ अनजाने 
           शहर में रहने आ गये
           हम सफ़र क्या होता है
           कुछ कुछ समझने लगी थी
           लगता है
           मैं मन ही मन
           इनसे प्यार करने लगी थी

                                                                 रंजना वर्मा 

            

22 comments:

  1. jahna man nirbhay ho, chain ho, vishwas ho sachmuch vahin pyar hai.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .मेरे ब्लॉग पर आयें .

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  2. जीवन की गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .मेरे ब्लॉग पर आयें .

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    2. aapkey blog se main jud gaya hun
      aagrah hai aap mere blog se judeyn
      aabhar

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    3. बहुत बहुत आभार आपका, मैं आपके ब्लॉग से जुडी हूँ सादर आमंत्रित

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  3. बहुत ही कोमल, नाज़ुक, प्यार भरी अभिव्यक्ति!! अंतिम पंक्तियों ने भीनी मुस्कान बिखेर दिया।
    सादर
    मधुरेश

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  4. समर्पन और आत्मीयता से भरी कविता। मजाग-मजाग में लोग कहते हैं कि सालों बाद पति-पत्नी का रिश्ता बोझ लगता है। पर आपके अभिव्यक्ति से और गहरेपन का एहसास मजाग करने वालों को जबरदस्त थप्पड।
    drvtshinde.blogspot.com

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित

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  5. जीवन की गहन अनुभूति का एहसास भरा बेहतरीन प्रस्तुति.

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  6. बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित

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  7. कौन कहता है अरेंज्ड मैरिज में इश्क नहीं होता...?????
    :-)

    सहज और प्रेमपगी अभिव्यक्ति...
    अनु

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    1. आपने बिल्कुल सही कहा, बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित

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  8. आँखों के सामने जैसे मंजर उतार दिया ...
    प्रेम की उपज भी तो सहज ही होती है ... पता नहीं चलता ...

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  9. बहुत बहुत आभार आपका,सादर आमंत्रित

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  10. जब प्यार भरा साथ मिलता है तो प्यार कर बंधन बहुत प्यारा लगने लगता है ... .
    बहुत सुन्दर भाव ...

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  11. वाह, बहुत बढ़िया

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  12. बहुत सही कहा आपने शायद यही बात थी, बहुत बहुत आभार आपका सादर आमंत्रित .

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  13. जीवन की प्रारंभिक अनुभूति का सुन्दर चित्रण .आप भी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी !
    latest post वासन्ती दुर्गा पूजा
    LATEST POSTसपना और तुम

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    Replies
    1. हमारे ब्लॉग में आने के लिए और रचना पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार ! जरुर आज ही मैं आपके ब्लॉग से जुड़ रही हूँ .

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  14. This comment has been removed by the author.

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  15. रचना पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार ! जरुर मैं भी आपके ब्लॉग से जुड़ रही हूँ .

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