पहली बार जब मैं घर से निकली थी
इनके साथ
हलकी सी यादों की धुंध है
बात सालों पहले की है
बिलकुल अल्हड़ लड़की थी मैं
बिना कुछ बात किये
चल दिये साथ में
कहीं कोई डर नहीं
किसी तरह का भय नहीं
बस सात फेरे हम हो गए तेरे
के वादे को
चरितार्थ करने
कहीं कोई अविश्वास नहीं था
पता नहीं क्यों
लम्बे सफ़र के बाद
मंजिल पहुँचे हम
पहाड़ों का शहर
प्रकृति में बसा
कोटेज सा सरकारी क्वार्टर
जहाँ पहुंचकर
बिलकुल चैन का
सांस लिया
जैसे मैंने मंजिल
पा लिया
सफ़र के दोरान भी ज्यादा
बातें न हुई
क्या इतना मजबूत बंधन
ये सात फेरे
जो अनजाने के साथ अनजाने
शहर में रहने आ गये
हम सफ़र क्या होता है
कुछ कुछ समझने लगी थी
लगता है
मैं मन ही मन
इनसे प्यार करने लगी थी
रंजना वर्मा
इनके साथ
हलकी सी यादों की धुंध है
बात सालों पहले की है
बिलकुल अल्हड़ लड़की थी मैं
बिना कुछ बात किये
चल दिये साथ में
कहीं कोई डर नहीं
किसी तरह का भय नहीं
बस सात फेरे हम हो गए तेरे
के वादे को
चरितार्थ करने
कहीं कोई अविश्वास नहीं था
पता नहीं क्यों
लम्बे सफ़र के बाद
मंजिल पहुँचे हम
पहाड़ों का शहर
प्रकृति में बसा
कोटेज सा सरकारी क्वार्टर
जहाँ पहुंचकर
बिलकुल चैन का
सांस लिया
जैसे मैंने मंजिल
पा लिया
सफ़र के दोरान भी ज्यादा
बातें न हुई
क्या इतना मजबूत बंधन
ये सात फेरे
जो अनजाने के साथ अनजाने
शहर में रहने आ गये
हम सफ़र क्या होता है
कुछ कुछ समझने लगी थी
लगता है
मैं मन ही मन
इनसे प्यार करने लगी थी
रंजना वर्मा
jahna man nirbhay ho, chain ho, vishwas ho sachmuch vahin pyar hai.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .मेरे ब्लॉग पर आयें .
Delete
ReplyDeleteजीवन की गहन अनुभूति
सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .मेरे ब्लॉग पर आयें .
Deleteaapkey blog se main jud gaya hun
Deleteaagrah hai aap mere blog se judeyn
aabhar
बहुत बहुत आभार आपका, मैं आपके ब्लॉग से जुडी हूँ सादर आमंत्रित
Deleteबहुत ही कोमल, नाज़ुक, प्यार भरी अभिव्यक्ति!! अंतिम पंक्तियों ने भीनी मुस्कान बिखेर दिया।
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
समर्पन और आत्मीयता से भरी कविता। मजाग-मजाग में लोग कहते हैं कि सालों बाद पति-पत्नी का रिश्ता बोझ लगता है। पर आपके अभिव्यक्ति से और गहरेपन का एहसास मजाग करने वालों को जबरदस्त थप्पड।
ReplyDeletedrvtshinde.blogspot.com
बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित
Deleteजीवन की गहन अनुभूति का एहसास भरा बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित
ReplyDeleteकौन कहता है अरेंज्ड मैरिज में इश्क नहीं होता...?????
ReplyDelete:-)
सहज और प्रेमपगी अभिव्यक्ति...
अनु
आपने बिल्कुल सही कहा, बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित
Deleteआँखों के सामने जैसे मंजर उतार दिया ...
ReplyDeleteप्रेम की उपज भी तो सहज ही होती है ... पता नहीं चलता ...
बहुत बहुत आभार आपका,सादर आमंत्रित
ReplyDeleteजब प्यार भरा साथ मिलता है तो प्यार कर बंधन बहुत प्यारा लगने लगता है ... .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ...
वाह, बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने शायद यही बात थी, बहुत बहुत आभार आपका सादर आमंत्रित .
ReplyDeleteजीवन की प्रारंभिक अनुभूति का सुन्दर चित्रण .आप भी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी !
ReplyDeletelatest post वासन्ती दुर्गा पूजा
LATEST POSTसपना और तुम
हमारे ब्लॉग में आने के लिए और रचना पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार ! जरुर आज ही मैं आपके ब्लॉग से जुड़ रही हूँ .
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरचना पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार ! जरुर मैं भी आपके ब्लॉग से जुड़ रही हूँ .
ReplyDelete