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Saturday, 20 April 2013

..............अब और नहीं सहेंगे

                                                                   

   


       स्तब्ध हैं हम !!!
      सरकार की उदासीनता हमने देखी 
      पुलिस की बर्बरता हमने देखी 
      पुलिस की कट्टरता 
      बहुत सी बात खोलती है 
      प्रशासन  की राज़ खोलती है 
      निहथ्यो के उपर कठोर वार करना इन्हें आता 
      क्या देश के युवा कुछ नाजायज मांग रहें थे ?
      सिर्फ दोषियों को  सजा ही तो मांग रहे थे 
      इंसाफ इस दामिनी के लिए 
      इंसाफ आने वाले कल के लिए 
      वो इंसाफ मांग रहे थे बिना किसी स्वार्थ के 
      वो इंसाफ मांग रहे थे बिना किसी शर्त के 
      युवाओ का आह्वान 
                         कर देंगे खाक जमीं आसमां को 
                          रंग देंगे अपने लहू से क्षितिज को 
     तब इस सरजमीं पे 
     कोई दामिनी किसी की शिकार नहीं होगी 
     किसी के बाहुपाश की सौगात नहीं होगी 
     मिटा देंगे बलात्कारी तुम्हे हम 
    अब ठहर जा 
    सहम जा 
    इस देश के युवाओ से 
    दामिनी के दर्द से दहल  रहा है 
    तुम्हें दंड देने को  उबल रहा है 
    बहुत सह ली हमने 
    अब और नहीं सहेंगे .........
    रंजना वर्मा      



20 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21-04-2013) के चर्चा मंच 1220 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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    1. मेरे पोस्ट को चर्चा -मंच में शामिल करने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया !

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  2. आस-पास की घटनाएं मन में जब घर करके बैठती है तब ऐसी कविताओं का निर्माण होता है। अपने देश में जो रोज घटित हो रहा है वह हैवानियत से कम नहीं। अब रणरागिनी ही बनना पडेगा।

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  3. मेरे पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया !

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  4. दामिनी के दर्द से दहल रहा है
    तुम्हें दंड देने को उबल रहा है
    बहुत सह ली हमने
    अब और नहीं सहेंगे .........,सुंदर रचना,,,


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  5. निकम्मी सरकारसे और क्या उम्मीद है ?
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    1. सही कहा पता नहीं कब देश की व्यवस्था ठीक होगी....

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  6. जब जब मन में आक्रोश सीमा लांघने लगता है ... ऐसे शब्द निर्माण होते हैं ...
    दिल दहल जाता है ये सब देख के ...

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    1. सही कहा गुस्सा आना स्वाभाविक है......

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  7. रंजना जी पता नहीं कब ये सब ख़तम होगा ... इसी उम्मीद पे हैं की सब जल्दी से ठीक हो जाए ..

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  8. सच तो यही है कि इस दुर्दशा से मुक्ति पाने के लिये हम सभी को अपना योगदान करना होगा. चुनौती देनी ही होगी. संवेदनशील प्रस्तुति.

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    1. सही कहा चुनौती तो देनी होगी..... धन्यवाद

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  9. अब तो सिर्फ ये जज्बा कुछ सार्थक करवा पाए यही उम्मीद है .....

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    1. सही कहा यही उम्मीद है कि इस तरह की घटना न हो.... धन्यवाद

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  10. अब वीभत्स हादसे रुकें ...यही उम्मीद है

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    1. बिल्कुल अब यही उम्मीद है कि इस तरह की घटना न हो.....धन्यवाद.

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  11. इस देश के युवाओ से
    दामिनी के दर्द से दहल रहा है
    तुम्हें दंड देने को उबल रहा है
    बहुत सह ली हमने
    अब और नहीं सहेंगे .-----cheetawni deti rachna bahut sateek

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    1. सही कहा गुस्सा आना स्वाभाविक है..... धन्यवाद .

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