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Sunday 7 April 2013

कभी तो मिलो मुझसे !

            मुझसे बात करो कुछ दिल से
          प्यार करो कुछ इस तरह से  
          नेह की छांव में कुछ देर रुक कर
          प्रीत में मेरे भीगकर तो देखो
          मिलन की चाह से अलग
          कभी तो मिलो मुझसे !

          मेरी सांसों की खुशबू में
          थोड़ी देर और ठहर जाओ 
          घुल जाएगी सब दूरियां
          थोडी और करीब आकर तो देखो
          मन की चाह से अलग
          कभी तो मिलो मुझसे !

         इन गिरते उठते मेरी पलकों में
         छुपकर स्नेह लगा लो जरा
         आखों में कजरा बन कर
         अपनी  प्यास बुझा कर देखों
         चाहत की रंग से अलग
         कभी तो मिलो मुझसे !

       तुमसे मिलने की बेकरारी हमें  भी
       आकर गले लगा लो  जरा
       मिलने की हसरतें ले कब से  बैठी
       आगोश में कुछ देर छुपा कर तो देखो
       तन की चाह से अलग
       कभी तो मिलो मुझसे !

                                                          रंजना वर्मा 


11 comments:

  1. नेह की छांव में कुछ देर रुक कर
    प्रीत में मेरे भीगकर तो देखो--------
    वाह प्रेम का महीन अहसास
    सुंदर रचना
    बधाई

    http://jyoti-khare.blogspot.in/-------में
    सम्मलित हों

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .

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  2. बहुत सुंदर ....प्रेमपगे भावों को लिए सुंदर शब्द

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .

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  3. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.

    कोमेट्स के वर्ड वेरिफिसकेशन को हटा लेते तो पाठकों को टिप्पडी करने में आसानी होती.

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका, सादर आमंत्रित .

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  4. प्रेम का आवेश लिए ... मधुर इच्छा के साथ ...
    सुन्दर भावपूर्ण रचना ...

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  5. बहुत बहुत आभार आपका,सादर आमंत्रित

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  6. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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    Replies
    1. बहुत बहुत आपका आभार !

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  7. This comment has been removed by the author.

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